37 साल की मोनिका अल्मीडा कोरोना के कारण 28 दिनों से कोमा में थीं |
इंग्लैंड में कोरोना के कारण कोमा में चली गई एक महिला नर्स की जान वियाग्रा से बचाई गई। 37 साल की मोनिका अल्मीडा कोरोना के कारण 28 दिनों से कोमा में थीं, लेकिन जैसे ही मोनिका को वियाग्रा का हैवी डोज दिया गया, उसे तुरंत होश आ गया। उसे वियाग्रा देने का आइडिया उसके साथ काम करने वाली एक नर्स ने ही दिया था।
‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार गेन्सबोरो लिंकनशायर की रहने वाली मोनिका भी खुद एक नर्स हैं। अक्टूबर में कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान वह संक्रमण की चपेट में आ गई थी। इसके बाद लगातार उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें खून की उल्टी भी हुई। बाद में मोनिका ने अस्पताल में अपना इलाज कराया, जहां से उन्हें जल्द ही छुट्टी दे दी गई।
दूसरी बार तबियत खराब हुई और कोमा में चली गई
डिस्चार्ज होने के कुछ दिनों बाद मोनिका को फिर से सांस लेने में तकलीफ होने लगी। उनका इलाज लिंकन काउंटी अस्पताल में शुरू हुआ। इलाज के दौरान मोनिका का ऑक्सीजन लेवल गिरता रहा। जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। जहां 16 नवंबर को वह कोमा में चली गईं।
वियाग्रा को लेकर अब नई रिसर्च शुरू
मोनिका को होश में लाने के लिए डॉक्टरों ने कई इलाज किए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। डॉक्टर मोनिका को वेंटिलेटर से हटाने की सोच रहे थे, लेकिन उससे पहले वियाग्रा देने का फैसला किया गया। वियाग्रा का भारी डोज देने के बाद ही मोनिका को होश आया। अब वैज्ञानिक इस बात पर शोध कर रहे हैं कि क्या वियाग्रा को नाइट्रिक ऑक्साइड की तरह ही इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ सकता है।
वियाग्रा मैं बच गई
मोनिका ने कहा- वियाग्रा ने मुझे बचा लिया है। इसने मेरे एयर वेव्स यानि वायु तरंगों को खोल दिया। इससे मेरे फेफड़े काम करने लगे। मुझे अस्थमा है, जिसकी वजह से मेरा ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिर रहा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि 37 साल की उम्र में मैं इतना बीमार हो जाऊंगी।
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