Hearing Loss: ईयरफोन का लगातार उपयोग करते हैं तो हो जाएं सावधान Read it later

Hearing Loss : युवाओं में ईयरफोन्स, बड्स और पॉड्स के लगातार इस्तेमाल की प्रवृति बढ़ रही है। इससे होने वाली हानियों व सावधानियों के बारे में बता रहे हैं ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. कैलाश सिंह

अगर ईयरफोन्स, ब्लूटूथ बड्स और पॉड्स का उपयोग करते हैं तो सावधान हो जाएं। लगातार इनके इस्तेमाल से सुनने की नसों को रिकवरी के लिए टाइम नहीं मिलता। अगर किसी को जॉब के चलते इनका ज्यादा प्रयोग करना पड़ता है तो 30 मिनट के इस्तेमाल के बाद 15 मिनट का ब्रेक लें। सामान्यत: सुनने के लिए 25 डेसिबल का साउंड ठीक होता है।

बरतें ये सावाधानियां (Hearing Loss)
  • तेज आवाज के आसपास जाने से बचें। अगर जाते हैं तो इयरप्लग पहनें।
  • तेज आवाज में म्यूजिक न सुनें।
  • ईयरफोन्स, ब्लूटूथ बड्स और पॉड्स की आवाज 50% के आसपास या 25-30 डेसिबल ही रखें।
  • लगातार 30 मिनट से ज्यादा इस्तेमाल न करें।
  • कम से कम 15-20 मिनट का ब्रेक दें।
  • मोबाइल पर बात करते समय फोन को स्पीकर पर रखकर बात करें।
  • अगर ज्यादा बात करनी होती है तो बड़े वाले हेड फोन्स का इस्तेमाल करें।
  • कान संबंधी कुछ भी समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
  • डिवाइस न करें शेयर : ईयर फोन्स, ईयर बड्स किसी के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इससे संक्रमण दूसरे व्यक्ति को भी होने का खतरा अधिक रहता है।
  • वायरस भी जिम्मेदार: किसी-किसी को सर्दी-जुकाम, बुखार होने के बाद भी सुनाई देना बंद हो जाता है। वायरस भी जिम्मेदार होते हैं।
  • हेडफोन्स हैं बेहतर: हेडफोन्स बेहतर हैं। इससे कान के परदे पर दबाव कम पड़ता है। आवाज सीधे परदे पर नहीं पड़ती है।
इन बातों का भी रखें ध्‍यान
  • सामान्य हियरिंग/ श्रवण- 25 डेसिबल तक श्रवण हानि नहीं
  • हल्की हियरिंग/श्रवण हानि- 26 से 40 डेसिबल के बीच
  • मध्यम हियरिंग/ श्रवण हानि- 41 से 55 डेसिबल के बीच
  • मध्यम से गंभीर हियरिंग/श्रवण हानि- 56 से 70 डेसिबल के बीच
  • गंभीर हियरिंग/श्रवण हानि- 71 से 90 डेसिबल के बीच
  • गंभीर हियरिंग/श्रवण हानि- 91 से 100 डेसिबल के बीच

 

टिनिटिस होने की संभावना ज्‍यादा

कानों पर हेडफोन या ईयरफोन लगाकर तेज आवाज सुनने से कान में दर्द और संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कान के अंदर यानी बहुत पास से तेज आवाज में संगीत और आवाज सुनने से बहरापन और टिनिटस हो सकता है। कान में गुनगुनाहट या कोई अतिरिक्त आवाज महसूस होना टिनिटस कहलाता है। इसमें कानों में लगातार या रुक-रुक कर भिनभिनाने, सीटी बजने, भिनभिनाने या फुफकारने जैसी आवाजें सुनाई देती हैं। ईयरफोन या हेडफोन की वजह से सिर में सूजन महसूस हो सकती है। इनसे होने वाला नुकसान इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप इन उपकरणों को कितनी देर तक सुनते हैं, कितनी तेज आवाज में सुनते हैं और कितनी बार सुनते हैं।

कैसे होती है समस्‍या

कान के अंदर एक झिल्ली मौजूद होती है जिसे ईयर ड्रम कहते हैं। इसमें कई नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग से जुड़े होते हैं। जब आप ईयरफोन या हेडफोन से तेज आवाज सुनते हैं, तो आवाज और उसका कंपन दबाव के साथ कान के ड्रम से टकराता है, जिससे समस्या होती है। एक बार यह समस्या होने पर यह स्थायी हो जाती है और अगर इसका तुरंत इलाज न किया जाए तो यह तंत्रिका को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकती है।

ईयरफ़ोन बेहतर या हेडफ़ोन

हेडफ़ोन, ईयरफ़ोन के कंपेयर में थोड़े सुरक्षित होते हैं। ईयरफ़ोन कान के अंदर तक जाते हैं, इसलिए कान के परदे से कंपन की दूरी कम होती है, जबकि हेडफ़ोन कान के ऊपर पहने जाते हैं, इसलिए यह थोड़ा कम हानिकारक होते हैं। अगर दोनों का ज्‍यादा यूज किया जाए और तेज़ आवाज़ में सुना जाए, तो ये दोनों ही नुकसान ही पहुंंचा सकते हैं ।

इस्तेमाल में ऐसे बरतें सवाधानी

ज़रूरत होने पर ही इस्तेमाल करें

कानों में लगातार ईयरफ़ोन या हेडफ़ोन वियर करने से बेहतर है कि ज़रूरत पड़ने पर ही इनका इस्तेमाल करें। अगर आप लगातार वर्चुअल मीटिंग करते हैं, तो हेडफ़ोन का ही इस्तेमाल करें। हालांकि, पीसफुल कमरे में बैठकर ईयरफ़ोन या हेडफ़ोन का इस्तेमाल किए बगैर मीटिंग करने की कोशिश करें।

वॉल्यूम लिमिट में ही रखें

संगीत सुनते समय वॉल्यूम कम लिमिट में रखें। इसे इतना कम रखें कि अगर ईयरफ़ोन कान में है, तो भी आसपास की बातचीत सुनी जा सके। बेहतर होगा कि आप स्पीकर पर या हेडफ़ोन के बिना संगीत सुनने की आदत डालें। हेडफोन या इयरफोन का इस्तेमाल एक घंटे से ज़्यादा न करें।

क्‍वालिटी के लिए अच्‍छी कंपनी का हेडफोन या ईयरफोन ही इस्‍तेमाल करें

अच्छी कंपनी और गुणवत्ता वाले इयरफोन या हेडफोन का ही इस्तेमाल करें। ऐसा करने से ये लंबे समय तक चलेंगे और आवाज़ साफ़ होगी यानी साउंड में तीखापन नहीं होगा। अगर आप ब्लूटूथ वाले इयरफोन या हेडफोन इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उन्हें चार्ज करते समय इस्तेमाल कभी न करें।

क्‍या हो सकता है नुकसान

विशेषज्ञों के अनुसार, ईयरफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस होता है। इससे आपकी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। कई बार यह समस्या एक कान में होती है तो कई बार दोनों कानों से सुनाई देना बंद हो जाता है।

दरअसल, ईयरफोन के इस्तेमाल से बैक्टीरियल इंफेक्शन बढ़ता है और इससे कानों के अंदरूनी हिस्से को नुकसान पहुंचता है। वहीं, बहुत तेज आवाज में संगीत सुनने से बहरापन जैसी स्थिति भी पैदा हो जाती है।

लंबे समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करने से कानों में अत्यधिक वैक्स बनने लगता है, जिससे टिंटस, सुनने में दिक्कत, कान में दर्द और बार-बार संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।

ईयरफोन को लगाए रखने से कानों की नसों पर दबाव पड़ता है, नसें सूज सकती हैं, जिससे कानों में कंपन होता है, जिसका सुनने की कोशिकाओं पर बेहद बुरा असर पड़ता है।

वहीं, ईयरफोन से पैदा होने वाली मैग्नेटिक वेव्‍स दिमाग के लिए भी परेशानी पैदा करती हैं। उच्च डेसिबल शोर का स्तर कान से दिमाग तक सिग्नल पहुंचाने वाले तंत्रिका तंतुओं से इन्सुलेशन हटा देता है।

Image Credit: Freepik

 

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