31 मई को साल की सबसे बड़ी एकादशी, बरतेंगे ये सवाधानी तो मिलेगा सालभर की एकादशियों का पुण्‍य Read it later

Nirjala Ekadashi 2023: साल की सबसे बड़ी एकादशी यानी निर्जला एकादशी 31 तारीख बुधवार को मनाई जाएगी। इस व्रत का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इस एक व्रत से वर्ष की सभी एकादशियों के व्रत का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए कई लोग इस व्रत को रखते हैं। जानिए निर्जला एकादशी से जुड़ी खास बातें

 

  • बनारस के ज्योतिषी पंडित पुरुषोत्तम शर्मा के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम निर्जला है। (Nirjala Ekadashi 2023) यह भगवान विष्णु की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने का पर्व है। इस एक व्रत से वर्ष की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • इस एकादशी को पांडव और भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। महाभारत के दौरान भीम ने भी इस व्रत को रखा था। इस कारण इस एकादशी को यह नाम मिला है।
  • इस दिन व्रत करने के साथ ही मौसमी फलों जैसे आम, मिठाई, पंखे, कपड़े, जूते-चप्पल, धन और धान्य का दान अवश्य करना चाहिए।
  • घर में पूजा करने के साथ ही किसी पौराणिक महत्व के मंदिर में भी पूजा करनी चाहिए।
  •  बाल गोपाल, भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए।
    इस दिन शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाकर चंदन लगाना चाहिए। शिवलिंग को बिल्व पत्र, माला और फूलों से सजाएं।
  • निर्जला एकादशी का व्रत बिना जल के रखा जाता है। इस दिन अन्न और जल का सेवन नहीं करना चाहिए तभी इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। अब गर्मी में दिन भर भूखे-प्यासे रहना मुश्किल होता है, इसलिए यह व्रत तपस्या के समान है।
  • मंदिर या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर जलपान लगाएं या जलपान में घड़ा दान करें। पक्षियों के लिए घर के बाहर दाना और पानी जरूर रखना चाहिए।
  • जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें व्रत के साथ विष्णु जी के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए। सुबह शाम पूजा करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को सुबह जल्दी उठकर पूजा करें और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। इसके बाद ही खुद भोजन करें। इस प्रकार यह व्रत पूर्ण होता है।
  • महाभारत काल में महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को एकादशी व्रत का महत्व बताया था। इस समय भीम ने व्यास जी से कहा था कि मुझ से भूखा नहीं रहा जा सकता, तो मुझे एकादशी व्रत का फल कैसे मिलेगा। व्यास जी ने भीम से कहा कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से पूरे वर्ष की एकादशियों का पुण्य अर्जित किया जा सकता है। इसके बाद भीम ने भी यह व्रत किया।
  • जो लोग दिन भर भूखे-प्यासे नहीं रह सकते, उन्हें फल और दूध का सेवन करना चाहिए। एकादशी का व्रत (Nirjala Ekadashi 2023) करने वाले लोगों को एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत और पूजा करने का संकल्प लें। इसके पश्‍चात व्रत का श्रद्धानुसार पालन करना चाहिए।
  • इस एकादशी का व्रत करके यथाशक्ति अन्न, जल, वस्त्र, आसन, जूते, छाता, पंख और फल आदि जरूरी चीजों का दान जरूरतमंदों को करना चाहिए। जो भक्त इस दिन जल कलश का दान करते हैं उन्हें साल भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी का व्रत करने से अन्य एकादशियों को अन्न ग्रहण करने का दोष दूर होता है और सभी एकादशियों के पुण्य का लाभ भी प्राप्त होता है। जो इस पवित्र एकादशी का श्रद्धापूर्वक पालन करता है वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

 

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) का प्रारंभ 30 मई 2023 को दोपहर 01 बजकर 7 मिनट से होगा. यह तिथि अगले दिन 31 मई 2023 बुधवार को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी।

हिंदू धर्म में एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) का व्रत उदयतिथि के अनुसार मान्य है, इसलिए निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई, 2023 को किया जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत की समाप्ति का शुभ मुहूर्त 1 जून गुरुवार को सुबह 05 बजकर 24 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।

 

Nirjala Ekadashi 2023
जानिए निर्जला एकादशी पूजा विधि

निर्जला एकादशी का व्रत (Nirjala Ekadashi 2023) करने वालों को दशमी की रात सात्विक भोजन करना चाहिए, अगले दिन एकादशी को सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद निर्जल व्रत का संकल्प लेना चाहिए। घर के मंदिर में केसर और गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। पीले वस्त्र, पीले फूल, मिठाई अर्पित करें। वैजयंती माला से ॐ प्रद्युम्नाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। शाम को पुन: भगवान विष्णु की पूजा करें और रात्रि में मंत्र जप करते हुए भूमि पर विश्राम करें। रात को जागकर भगवान विष्णु का स्मरण करें। अगले दिन द्वादशी को शुभ मुहूर्त में पूजा और दान के बाद प्रसाद खाकर व्रत तोड़ें।

एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) के दिन भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करते हुए पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए जल से भरा घड़ा दान करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने वाले के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं।

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi Pooja niyam) कभी न करें ये काम

माता तुलसी को ग्रंथों में विष्णु प्रिया कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) के दिन तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए। (Nirjala Ekadashi dos and donts) इससे वे पाप के भागी बनते हैं, क्योंकि इस दिन तुलसी एकादशी का निर्जल व्रत भी रखती है। साथ ही पूजा में विष्णु जी को अक्षत भी न चढ़ाएं। श्री हरि की पूजा में चावल वर्जित है।

 

निर्जला एकादशी पर और क्‍या बातें हैं जिसमें कहा जाता है कि क्या करें और क्या न करें

1. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) के दिन चावल नहीं बनाने चाहिए।
2. एकादशी तिथि के दिन तुलसी के पत्तों न तोड़ें, क्‍योंकि इस दिन तुलसीजी भी व्रत करतीं हैं, अगर पत्ते बहुत जरूरी हैं तो आप एक दिन पहले ही पत्ते तोड़ सकते हैं।
3. इसके अलावा निर्जला एकादशी के दिन शारीरिक संबंध बनाने से भी बचना चाहिए।
4. इस दिन घर में प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का सेवन बिल्‍कुल नहीं करें।
5. साथ ही किसी से झगड़ा न करें, किसी का बुरा करने का न सोचें, किसी का अहित न करें और क्रोध न करें।

 

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डिस्क्लेमर – इस आर्टिकल में दी गई सूचनाएं हिंदू मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। थम्सअप भारत न्‍यूज किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है। आपको सलाह दी जाती है कि ज्‍यादा जानकारी के लिए निजी तौर पर अपने ज्‍योतिषाचार्य व वास्‍तु विशेषज्ञ की राय भी जरूर लें।

 

 

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